एमजीएम अस्पताल में अब ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता नहीं होगी, हर बेड पर पाइपलाइन से लिक्विड ऑक्सीजन पहुंचेगी। इसके लिए अस्पताल परिसर में 500 करोड़ रुपए की लागत से ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया है।
इसका निर्माण प्रैक्सेयर कंपनी ने किया है। सभी विभागों में पाइपलाइन भी बिछा दी गई है, ताकि मरीजों को सीधे बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा मिल सके। इससे दशकों पुराने सिलेंडर के सहारे चल रहे सिस्टम से निजात मिल जाएगी। प्रैक्सेयर कंपनी की अाेर से लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। 15 दिन के अंदर इसका लाभ मरीजों को मिलने की उम्मीद है।
प्लांट में एक साथ 13 टन ऑक्सीजन गैस रखी जाएगी। इसका बड़ा फायदा यह है कि ऑक्सीजन खत्म होने का जोखिम नहीं रहेगा और जरूरत होने पर मरीज को फौरन उपलब्ध हाे सकेगी। अभी सिलेंडर लगाने में वक्त लगता है। वहीं पाइप लीक करने से अलार्म बजेगा। इससे दुर्घटना होने से रोका जा सकेगा।
डाॅक्टर और मरीजों को भी मिलेगी राहत
ऑक्सीजन की ऑटोमेटिक सप्लाई शुरू होने से मरीजों से लेकर डॉक्टर और अस्पताल के पारा मेडिकल कर्मचारियों को बहुत राहत मिलेगी। अस्पताल में हर वार्ड के हर बेड तक ऑक्सीजन गैस मिलेगी और मरीजों को दिक्कत होते ही तुरंत ऑक्सीजन मिल जाएगी। वहीं ऑक्सीजन की समस्या भी नहीं रहेगी।
इनका है कहना
एमजीएम के उपाधीक्षक डॉक्टर नकुल प्रसाद चौधरी का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो गया है। लाइसेंस मिलते ही इसका लाभ मरीजों को मिलने लगेगा। पांच साल तक प्लांट की देखरेख की जिम्मेवारी इसे बनाने वाली की हाेगी। इसलिए इसके एक बार शुरू होने के साथ ही समस्या का समाधान हो जाएगा।